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Sunday, May 31, 2015

मंजिल

कोई शिकवा न कोई गिला 
कुछ भी न मिला
कोई वफा न कोई बेवफा
यादों में रहा 
हम तो निकले ही नहीं
जिंदगी के सफर में कभी
न कोई राह न मंजिल
न कोई खुदा ही मिला 

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