देखो
शिल्पियों का हुनर
अब शिलाओं में
नहीं उभारतें
देवी-देवताओं का रूप,
उन्हें 'वाह' नहीं
'आह' की ज्यादे ख़बर है
इसलिए
लोढ़ो और सिल बट्टों में
लिखतें हैं वह
करीने से
हुनर और गरीबी का
इतिहास
(अप्रमेय)
शिल्पियों का हुनर
अब शिलाओं में
नहीं उभारतें
देवी-देवताओं का रूप,
उन्हें 'वाह' नहीं
'आह' की ज्यादे ख़बर है
इसलिए
लोढ़ो और सिल बट्टों में
लिखतें हैं वह
करीने से
हुनर और गरीबी का
इतिहास
(अप्रमेय)
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