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Monday, July 6, 2015

एक-क्षण, तत-क्षण

 बेला  गुलाब जूही चंपा चमेली
और भी जाने क्या-क्या
ये महज फूल नहीं
अस्तित्व प्रदत्त सनद हैं
तुम्हारे
कि तुम प्रेम कर सको ,
महज इनमे से गुलाब कभी
तय कर लें किसी सुबह
न खिलने का
तो सूर्य नहीं उगेगा पूरब से,
ये भरोसा नहीं दावा है
जिसे दुनिया का कोई ग्रन्थ, विज्ञान
झुठला नहीं सकेगा
मेरे रहने न रहने के बाद,
ये वचन सूर्य के लिए भी ढाल  बनेगा
और तुम सब के लिए
हौसले की उड़ान,
आजमाना  हो तो कभी आजमा लेना
सभी सांस भर न लेना एक-क्षण
मुरझा जाएंगे सभी फूल तत-क्षण
( अप्रमेय )

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