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Friday, March 25, 2016

तुम्हारे लिए

मैं तो राजी हूँ
तुम्हे स्वीकार करने के लिए
और जानता हूँ
तुमने अब तक 
सिर्फ जिंदगी को
किताबों में समझा है
और डरने की खुराक तुम्हे
जो आध्यात्मिक बनाती है
उसे तुमने मंदिर, गिरजाघरों
या फिर मस्जिद की चौखट पे
नाक रगड़ते हुए समझा है
तुमने जिस प्यार में
कुर्बानियों की कसमे खायीं हैं
वह देह से देह तक की यात्रा से
ज्यादे कुछ और नहीं
मैं तो कह दूँ
और इसके बावजूद भी
तुम्हे स्वीकार कर लूँ
पर तुम्हारे लिए
ये सब कहना तुम्हे खो देने जैसा होगा
मुझे मालूम है कि मेरी यह समझ
कितनी भी सत्य क्यों न हो
तुमसे ज्यादे कीमती नहीं
(अप्रमेय)

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