हम हो रहे हैं धीरे धीरे राजी
और इसे ही हम अपनी
क़िस्मत समझ लेंगे
कोई अचानक नहीं कहता है सच
धीरे धीरे परखता है
वह तुम्हारा तापमान
उसे मालूम है
हलुआ बनाने की विधि
आदमी को गुलाम बनाने में
कैसे काम में लायी जा सकती है
आदमी के सपने बहुत पुराने हैं
यहाँ तक कि आदमी से भी पुराने
उसकी तड़प मुर्दा होने के पहले
थोड़ी साँसों की बची छटपटाहट है
जिंदगी उन्ही के पास हैं
जिनके हाथों में
पानी से भरा गिलास है
वो जानते हैं इसे और
वो भी छटपटाते हैं
कि गिलास पानी का
वह खुद भी नहीं पी पाते
न पिला पाते हैं
(अप्रमेय)
और इसे ही हम अपनी
क़िस्मत समझ लेंगे
कोई अचानक नहीं कहता है सच
धीरे धीरे परखता है
वह तुम्हारा तापमान
उसे मालूम है
हलुआ बनाने की विधि
आदमी को गुलाम बनाने में
कैसे काम में लायी जा सकती है
आदमी के सपने बहुत पुराने हैं
यहाँ तक कि आदमी से भी पुराने
उसकी तड़प मुर्दा होने के पहले
थोड़ी साँसों की बची छटपटाहट है
जिंदगी उन्ही के पास हैं
जिनके हाथों में
पानी से भरा गिलास है
वो जानते हैं इसे और
वो भी छटपटाते हैं
कि गिलास पानी का
वह खुद भी नहीं पी पाते
न पिला पाते हैं
(अप्रमेय)
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