सोचता हूँ कि कुछ लिखूं
कि मन में आ गया
पिछवाड़े लगाया हुआ पौधा
अभी आयी नहीं है उसमें कली
सोचता हूँ
कली और फूल में
सुंदर कौन है
इस पर
मेरे ह्रदय का कवि
मौन है ।
(अप्रमेय)
कि मन में आ गया
पिछवाड़े लगाया हुआ पौधा
अभी आयी नहीं है उसमें कली
सोचता हूँ
कली और फूल में
सुंदर कौन है
इस पर
मेरे ह्रदय का कवि
मौन है ।
(अप्रमेय)
No comments:
Post a Comment