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Wednesday, October 25, 2017

गीत-नुमा

धड़कन कौवे की तरह जब
कांव-कांव करने लगे
और स्वांस हैण्डपम्प की आवाज सा
चोचियाने लगे तब 
कोयल की आवाज 
मृत्यु के स्कूल में बज रहे
छुट्टी के घंटों सा सुनाई पड़ने
लग जाती है,
कौन नहीं चाहता आकाश को निहारना
पर किन्ही-किन्ही क्षणों में
उसे देखना भर
निर्गुण के दुल्हनिया सा
सिसकता हुआ कुछ
गीत-नुमा हो जाता है ।
(अप्रमेय)

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