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Tuesday, October 24, 2017

कदम

जहाँ जहाँ निकले हैं कदम
पहले उन्हें लौटाना होगा
घर में ही बैठा है वह कबसे
पहले उसे मनाना होगा
तुम्हारी आदत में शुमार है 
चलते हुए इधर-उधर देखना
लौटना है जो घर अपने
अपनी हसरतों को मिटाना होगा।
(अप्रमेय )

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