जहाँ जहाँ निकले हैं कदम
पहले उन्हें लौटाना होगा
घर में ही बैठा है वह कबसे
पहले उसे मनाना होगा
तुम्हारी आदत में शुमार है
चलते हुए इधर-उधर देखना
लौटना है जो घर अपने
अपनी हसरतों को मिटाना होगा।
(अप्रमेय )
पहले उन्हें लौटाना होगा
घर में ही बैठा है वह कबसे
पहले उसे मनाना होगा
तुम्हारी आदत में शुमार है
चलते हुए इधर-उधर देखना
लौटना है जो घर अपने
अपनी हसरतों को मिटाना होगा।
(अप्रमेय )
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