स्मृति तुम्हारे प्रेम की
झर गई गुलाब के फूल सी
गंध रह गई कुछ देर,
जीवन एक डगर सा
चलता रहा साथ-साथ
वह भी एक शाम
सुबह के बाद
ओझल हुआ भाप सा,
कुछ चिन्ह रह गए शेष
बचे हुए लोगों के साथ
लोगों ने प्रश्नों जैसे बुनी नांव
आते जाते रहें
इस ओर उस ओर,
उत्तर एक ही था नदी के पास
जो उसे देखने पर मिलता था
(अप्रमेय)
झर गई गुलाब के फूल सी
गंध रह गई कुछ देर,
जीवन एक डगर सा
चलता रहा साथ-साथ
वह भी एक शाम
सुबह के बाद
ओझल हुआ भाप सा,
कुछ चिन्ह रह गए शेष
बचे हुए लोगों के साथ
लोगों ने प्रश्नों जैसे बुनी नांव
आते जाते रहें
इस ओर उस ओर,
उत्तर एक ही था नदी के पास
जो उसे देखने पर मिलता था
(अप्रमेय)
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