बच्चे ही गेंद से खेल पाते हैं
आदमी तो बड़ा होता है
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के गोल पिंड में
विचारों का छर्रा लिए
वह छिटकता है इधर-उधर,
मुक्ति और बंधन का टप्पा खाते
आदमी जगत के मैदान में
अपनी गेंद से दूसरों को
आदमी तो बड़ा होता है
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के गोल पिंड में
विचारों का छर्रा लिए
वह छिटकता है इधर-उधर,
मुक्ति और बंधन का टप्पा खाते
आदमी जगत के मैदान में
अपनी गेंद से दूसरों को
क्लीन बोल्ड करने की फिराक में
इनके-उनके हाथों से
बॉलिंग करवाता है,
बच्चा आदमी से बहुत छोटा है जो
पिंड से दूर गेंद को मैदान से उठा कर
अपनी पॉकेट की जेब में रख कर
छुपा देता है और फिर
जोर-जोर से खिलखिलाता है
(अप्रमेय)
बच्चा आदमी से बहुत छोटा है जो
पिंड से दूर गेंद को मैदान से उठा कर
अपनी पॉकेट की जेब में रख कर
छुपा देता है और फिर
जोर-जोर से खिलखिलाता है
(अप्रमेय)
No comments:
Post a Comment