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Monday, April 23, 2018

बच्चा खिलखिलाता है

बच्चे ही गेंद से खेल पाते हैं
आदमी तो बड़ा होता है 
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के गोल पिंड में 
विचारों का छर्रा लिए
वह छिटकता है इधर-उधर,

मुक्ति और बंधन का टप्पा खाते
आदमी जगत के मैदान में
अपनी गेंद से दूसरों को 
क्लीन बोल्ड करने की फिराक में
इनके-उनके हाथों से
बॉलिंग करवाता है,

बच्चा आदमी से बहुत छोटा है जो
पिंड से दूर गेंद को मैदान से उठा कर
अपनी पॉकेट की जेब में रख कर
छुपा देता है और फिर
जोर-जोर से खिलखिलाता है
(अप्रमेय)

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