कोई तार हृदय का
इतना ढीला हुआ कि
छेड़ना तो दूर
पकड़ में ही नहीं आया,
एक राग सिलसिले में बज रहा था
पर लोगों ने उसको धुन बनाया
कोई रास्ता फकीर की दाढ़ी सा
उजला दिखा पर सब ने उसे
पहाड़ों की झाड़ बताया,
लोगों ने मुझे समझा
अपनी-अपनी समझ से
किसी ने हैवान तो
किसी ने भगवान बनाया...
(अप्रमेय)
इतना ढीला हुआ कि
छेड़ना तो दूर
पकड़ में ही नहीं आया,
एक राग सिलसिले में बज रहा था
पर लोगों ने उसको धुन बनाया
कोई रास्ता फकीर की दाढ़ी सा
उजला दिखा पर सब ने उसे
पहाड़ों की झाड़ बताया,
लोगों ने मुझे समझा
अपनी-अपनी समझ से
किसी ने हैवान तो
किसी ने भगवान बनाया...
(अप्रमेय)
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