सुबह बिस्तर से
उठने का मन नहीं करता
पढ़ते-पढ़ते जो किताब रात
पड़ी रह गई थी सिरहाने
उसके पन्ने कुछ चिमुड़ कुछ
फट से गये
सुबह बिस्तर की सिलवटें और
बेतरतीब ओढ़नी निद्रा सौन्दर्य का
क्या इतिहास पढ़ा रहे होते हैं!
मैं सुबह-सुबह ईश्वर को
नहीं याद करना चाहता
अच्छा है कि पंडितों और मौलवियों का कारोबार
सुबह बाहर मंदिरों में घण्टा बजाने
और अजान देने का है
आदमी को सुबह अपने
घर में होना चाहिए
अपने बिस्तर के पास
बेतरतीब चीजों के बीच रिश्ता जोड़ते हुए।
(अप्रमेय)
उठने का मन नहीं करता
पढ़ते-पढ़ते जो किताब रात
पड़ी रह गई थी सिरहाने
उसके पन्ने कुछ चिमुड़ कुछ
फट से गये
सुबह बिस्तर की सिलवटें और
बेतरतीब ओढ़नी निद्रा सौन्दर्य का
क्या इतिहास पढ़ा रहे होते हैं!
मैं सुबह-सुबह ईश्वर को
नहीं याद करना चाहता
अच्छा है कि पंडितों और मौलवियों का कारोबार
सुबह बाहर मंदिरों में घण्टा बजाने
और अजान देने का है
आदमी को सुबह अपने
घर में होना चाहिए
अपने बिस्तर के पास
बेतरतीब चीजों के बीच रिश्ता जोड़ते हुए।
(अप्रमेय)
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