Powered By Blogger

Monday, April 23, 2018

बच्चा

सड़क पर गेंद से खेलते
कंधे पर बस्ता लिए 
स्कूल जा रहा है बच्चा,

छोटे कंकड़ पर अचानक 
पड़ती है गेंद
और छटक कर चली जाती है
नाली के अंदर,


वह ठिठक कर रुक जाता है
पहुंचता है गेंद के पास
पहले देखता है अपनी गेंद फिर
औचक इधर-उधर, आगे पीछे
ऊपर नीचे और

 टप्प से उठा लेता है अपनी गेंद,

छोटी-छोटी उगी दूब में उसे
सलीके से पोंछ कर
अपने किताबों के बीच रखकर
वह चला जा रहा है,


मैं उसे देख रहा हूँ
और सोच रहा हूँ,


किताब,बस्ता,गेंद,सड़क,नाली और
बच्चे के बीच घटित हुई यह कविता
जिसे भाषा में ला पाना
कठिन है पर यकीन मानिए
दूब पर लिपटा पानी
मेरी जन्म-जन्मान्तर की
प्यास बुझा रहा है।
(अप्रमेय)

No comments:

Post a Comment