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Monday, April 23, 2018

सदियों से

पहले उन्होंने ने 
ध्वनी में भरा शब्द 
चाशनी सा मीठा और कहा- माँ
धीरे से बताया चाशनी
के पीछे उसे तुम्हारे जबान तक 
लाने वाले का नाम- पिता
बढ़ने लगनी सम्पदा तुम्हारी
फूलों से हुआ परिचय
जिसके साथ जाना तुमने सुंदर
फिर सुंदर शब्द आकृति में
ले आयें तुम्हारे पास
सदियों का भंडार,
शब्द जो लगे गूंजने
तुमने कहा आकाश
और फिर पीछे छूट गया आकाश ,
तुमने सुना शब्दों में पाप
प्रार्थना की ही तरह उसे तुमने आजमाया
और धूँए की तरह उसे तुमने उड़ने दिया
लोगों ने बताया चिड़िया उड़ती है
क्यों कि उनके पंख होते हैं,
तुमने अपने आप को समझाया
शब्दों में जिंदगी
और जिंदगी में शब्द
एक ध्वनि से ज्यादा कुछ और नहीं
इस लिए सदियों से चलता रहा
पश्चाताप !!!
(अप्रमेय)

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