धीरे धीरे
बच्चों की आंख से
विदा हो जाते हैं सपने
सपने वे जो रात को उन्हें
नींद में हंसाते थें ,
कल रात नींद में
मैंने एक स्वप्न देखा
जहां बच्चे एक आंख को
बंद किए सो रहे थे
और एक आंख को खोले हुए
जाग रहे थे,
वहीं स्वप्न में मैंने
अपने आप को भी देखा
गांव के घर के पिछवाड़े
लदे हुए आम के वृक्ष के नीचे
अपना गाड़ा हुआ सिक्का
तलाश रहा था,
आंखें , सपने, नींद, हंसी
गांव, वृक्ष और आम
के बीच एक शब्द 'पिछवाड़ा' भी है
जिसकी छाया अब
सपनों के साथ ही
सदी से लुप्त हो गई है ।
(अप्रमेय)
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