मैं जी भर जीना चाहता हूं
मरने से पहले और मरने के बाद
कोई बुलावा इधर से आए
तो पुनः आना चाहूंगा
मर जाने के लिए,
वैसे सौ बार जीते जी मैं
मर चुका हूं और ग़ालिब को
याद करते हुए उनके शेर का
पहला पद मन्त्र सा दोहराया हूँ
कि क्या बुरा था मरना जो एक बार होता,
लेकिन फिर भी एक बात
सबके लिए कहना चाहूंगा
जिंदगी पछाड़ती ही रहेगी हमेशा मृत्यु को
प्यार जीतता ही रहेगा हमेशा घृणा को
वसन्त पतझड़ के रूखेपन को
ढंकता ही रहेगा तबतक
जबतक एक एक आदमी
जिंदगी से प्यार न करने लगे।
(अप्रमेय)
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