बच्चे मांगते हैं एक या दो रुपए
पतंग के लिए
उनकीे नन्हीं हथेलियों पर गोल सिक्के
पूरी पृथ्वी का नक्शा पतंग सा
बदल देते है,
हाथ में मांझा और सद्दी लिए
पतंग को उससे जोड़ते
गांठ लगाते हुए वे तोड़ते हैं
रिश्तों में गांठ लग जाने वाला
पुराना मुहावरा,
आकाश में पतंग उड़ाना
हमें नहीं आता
शुरुवात में बच्चों को भी नहीं आता
पर बच्चे पतंग उड़ाते हैं
आकाश से बतियाते हैं
उनके पास जाने पर वे पूछते हैं
और कितने ऊपर
पतंग जा पाएगी काका।
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(अप्रमेय)
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