कोरोना-2
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पहले चुप होता है आकाश
फिर पंछी उड़ना भूल जाते हैं
हिलती नहीं डालियां
जड़ें तोड़ देती हैं पाताल पहुंचने की
अनवरत प्रतिज्ञा ,
मिट्टी अपना धर्म त्याग कर
गर्भ में तपिश देते बीजों को
रखे रखे पथरा जाती है,
कानों में बजता है
आठवें सुर पर अवतरित घण्टा,
अकाल में पड़ा आदमी
इस अकाल के रहस्य को जानता है
मरने के पहले
घड़ी दो घड़ी ही सही
दूसरे की कीमत पर
वह जी भर के
जी लेना चाहता है।
(अप्रमेय)
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