तुम्हारी सारी कथाएं
महान बनने के ढोंग हैं
जो महान नहीं बन पाए
मैं उन्हें बारम्बार प्रणाम करता हूँ
कथा के उन पात्रों की
जिनकी लाशें भी चील-कौओं के काम आईं
कथा के उन पात्रों की भी जिन्होंने
बिना किसी दिव्यज्ञान के
अपनी मौत मुकर्रर की
और परवाह किए बिना
अपना काम किया
मैं उन्हें प्रणाम करता हूँ,
तुम आकाशीय ज्ञान के
साथी हो मेरे भाई
जरा अपनी धरती पर
कान सटा कर सुनना
जिसे तुम माँ कहते हो
वह कब से तुन्हें पुकार रही है
कुछ कहना है उसे इसके लिए
एक भाषा तलाश रही है।
(अप्रमेय)
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