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Saturday, July 25, 2020

देखना

महल की अटारी से नहीं
छप्पर की छेद से 
सितारों को देखना
ये अंधेरा कितना गहरा है
किसी गरीब की आँख से 
देखना
वह देश के सिपहसलारों 
की बात किया करता है
कुछ जरूरी सवालात उससे
जरा पूछ कर
देखना,
जो खोज रहे हैं राह
वहीं जहां चंद लोग पहुंचे हैं
उनकी बात करने के अंदाज़ को
जरा गौर से
देखना।
महल की अटारी से नहीं
छप्पर की छेद से 
सितारों को देखना
(अप्रमेय)


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